आपने कभी सुना है कि बच्चे जीवों से प्यार नहीं करते? बच्चे पक्षियों और जानवरों से प्यार करते हैं। अपने कल्पना लोक में वे मछलियों के साथ तैरना चाहते हैं, कबूतरों के साथ उड़ना चाहते हैं, मोरों के साथ नाचना चाहते हैं, मुर्गों के साथ गुनगनाना चाहते हैं और तितलियों के साथ दौड़ना चाहते है तथा पालतू पशुओं के साथ खेलना चाहते हैं। जब बत्तखें पानी से बाहर आकर अपने पंख फड़फड़ाती हैं, तो वे रोमांचित हो जाते हैं, ओवरकोट की भांति पंख धारण किए कबूतरों की दुर्लभ प्रजातियां, आयनास, होपिंग मुनियास तथा मुलायम, नाजुक फर वाले खरगोश यहां रखे गए हैं। बच्चों की उत्सुकता और मनोवैज्ञानिक सोच के दृष्टिगत राष्ट्रीय बाल भवन में छोटा चिडि़याघर और मछली घर का निर्माण किया गया है।
इस छोटे चिडि़या घर और पक्षी विहार में कबूतर, तोते, मियानास, तीतर, मुर्गे, बत्तख, खरगोशों की 20 से ज्यादा प्रजातियों रखी गया है।
वर्ष 2004 में पक्षियों के इस परिवार में दुर्लभ अफ्रीकन और आस्ट्रेलियन ‘लव बर्डस’ को शामिल किया गया है। बच्चे इन जीवों और पक्षियों को देखकर न केवल खुश होते हैं अपितु उनके खान-पान, व्यवहार और लालन-पालन के बारे में भी सोचते हैं। वे बीमार जीवों की देखभाल और सभी चराचर जगत में प्यार और दुलार की भावना विकसित करना भी सीखते हैं।