मिनी ट्रेन



''सीटी, धुआँ और हुक-हुक की आवाज़ के साथ चलती है मिनी ट्रेन
केवल राष्ट्रीय बाल भवन में मिलती है मिनी ट्रेन’’

मिनी ट्रेन राष्ट्रीय बाल भवन का विशेष आकर्षण है। बच्चे और बड़े, सभी को इसमें बैठना काफी पसंद है। मिनी ट्रेन बड़ी रेलगाड़ी का छोटा सुंदर प्रतिरूप है जिसे बच्चों के प्रिय चाचा नेहरू ने 1958 में उत्तरी रेलवे के माध्यम से राष्ट्रीय बाल भवन को दान में दिया था। मैसर्स क्रायस मैफिक ए.जी. तथा टाटा लोकोमोटिव इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड जमशेदपुर ने भाप का छोटा लोकामोटिव इंजन उपहार स्वरूप दिया था। इसमें दो खुले डिब्बे हैं और बावन (52) लोगों के एक साथ बैठने की व्यवस्था है।

‘‘खेल गाँव’ नाम से एक रेलवे स्टेशन भी बनाया गया है, जो अपने नाम को सार्थक करता है। इस रेलवे स्टेशन के भवन के साथ ही, मिनी इंजन को रखने के लिए ‘इंजन घर’ बनाया गया है, इसमें टर्न-टेबल भी है ताकि इंजन को दोनों दिशाओं में चलाया जा सके। इस मिनी लोकोमोटिव ट्रेन का टे्रक 13 गेज है, इसकी लम्बाई लगभग एक मील है यह ट्रेन राष्ट्रीय बाल भवन परिसर का चक्कर लगाता है। इस टे्रक के रास्ते में एक पुल तथा एक सुरंग आती है, जिससे यह रेल-यात्रा और भी मज़ेदार तथा वास्तविक बन पड़ती है। इसके लिए एक स्वचालित सिग्नल व्यवस्था भी बनी हुई है। बच्चों के लिए यह यात्रा बड़ी मजे़दार होती है और जब उन्हें ट्रेन गार्ड की भूमिका निभाने का मौका मिलता है तो वे बड़े खुश होते हैं। उनके लिए सबसे रोमांचक क्षण वह होता है जब वे ‘मिनी ट्रेन’ को हरी झंडी दिखाते हैं और ‘लाल झंडी’ दिखाकर इसे रुकने का संकेत देते हैं। भाप का यह लोकोमोटिव सबसे छोटा है और इसी प्रकार यह टै्रक गेज भी सबसे छोटी है जिस पर यह दौड़ती है। इस ‘मिनी टे्रन’ को हरी झंडी दिखाते हैं और ‘लाल झंडी’ दिखाकर इसे रूकने का संकेत देते हैं। भाप का यह लोकोमोटिव सबसे छोटा है और इसी प्रकार यह ट्रैक गेज भी सबसे छोटी है जिस पर यह दौड़ती है। इस मिनी ट्रैन को कई महान हस्तिय़ो जैसे - पंडि़त जवाहरलाल नेहरू, डा0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन, श्री रामास्वामी वेंकटरामन, श्री लाल बहादुर शास्त्री, श्रीमती इंदिरा गाँधी, श्री राजीव गाँधी, श्री चन्द्रशेखर, श्री पी0 वी0 नरसिम्हा राव, श्री जगजीवन राम, श्री माधवराव सिंधिया, डा0 मुरली मनोहर जोशी, श्रीमती सोनिया गाँधी तथा श्रीमती जैकलीन कैनेड़ी आदि को सवारी करवाने का गौरव प्राप्त है। मिनी ट्रेन उन सभी दिनों में चलती है जब बाल भवन खुला होता है और बाल भवन इस सुंदर उपहार को पाकर अत्यन्त गौरवान्वित है।