‘‘विज्ञान वाटिका में सीखना मजे़ का काम है’’
1990 में राष्ट्रीय बाल भवन तथा राज्यों के बाल भवनों में विज्ञान वाटिका स्थापित करने के लिए एक योजना शुरू की गई थी। इस योजना के कार्यान्वयन के लिए
राष्ट्रीय बाल भवन में एक विज्ञान वाटिका बनाई गई तथा 1992 से 1997 तक 5 वर्ष की अवधि में राष्ट्रीय बाल भवन की सहायता से राज्य बाल भवनों में 20 विज्ञान वाटिकाओं की स्थापना की गई है।
ये विज्ञान वाटिकाएँ केवल मनोरंजन का साधन नहीं है अपितु ये बच्चों के ज्ञान और सृजनात्मकता में वृद्धि करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभातीं हैं। जब बच्चे काम कर रहे मॉडलों तथा विज्ञान वाटिका में विभिन्न वैज्ञानिक अवधारणाओं को दर्शाने वाले दृश्यों को देखते हैं तो उन्हें आसानी से वैज्ञानिक नियम तथा सिद्धांत समझ में आ जाते हैं। विज्ञान वाटिका प्रत्येक बच्चे के लिए है, भले ही वह विज्ञान का विद्यार्थी हो अथवा नहीं। बच्चे हमेशा किसी भी चीज़ के बारे में ‘क्यों और कैसे’ जानने के लिए उत्सुक रहते हैं और विज्ञान वाटिकाएँ बच्चों को इसी प्रकार के सिद्धांतों की जानकारी देने के लिए मॉडल तथा उन पर लिखी संबंधित सूचनाओं के माध्यम से सिद्धांतों को समझने में सहायक होते हैं। वे इन सिद्धांतों को अन्य सामान्य घटनाओं से जोड़ कर उन्हें अच्छी प्रकार समझकर उनका कारण भी खोज सकते हैं। इस प्रकार, उनका तार्किक दृष्टिकोण तथा विश्लेषण क्षमताएँ सूक्ष्म बनती हैं तथा वे चीज़ों को और गहराई से निरीक्षण करना भी सीखते हैं।
राष्ट्रीय बाल भवन की विज्ञान वाटिका में सामान्य वैज्ञानिक सिद्धांतों को समझाने वाले कई मॉडल मौजूद हैं, जो बच्चों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र हैं वाटिका में ऐसी कई चीजे हैं, जो देखने में दूसरी वाटिकाओं के सदृश लगती हैं जैसे सी-सॉ या झूले। लेकिन राष्ट्रीय बाल भवन की विज्ञान वाटिका में लगे झूले की एक विशेषता है - इसमें आधार हमेशा केंद्र में नहीं होता। बच्चों को यह तथ्य बड़ा मजे़दार लगता है कि एक पतला सा बच्चा भी बिना किसी विशेष प्रयत्न के मोटे बच्चे को उठा सकता है। इसी प्रकार झूलों की लम्बाई अलग-अलग रखी गई है ताकि झूलते हुए बच्चे झूले की लम्बाई तथा समय के बीच संबंध को समझ सकें। .
सभी वाटिकाओं में लोगों के लिए आराम से बैठने के लिए बैंचों की व्यवस्था की गई है - यही व्यवस्था विज्ञान वाटिका में भी है जो थोड़ी अलग है। राष्ट्रीय बाल भवन की विज्ञान वाटिका में बैठने के लिए बैंच बनाने में तीन अलग-अलग रंगों जैसे - सफेद, भूरे तथा काले रंग के पत्थरों का प्रयोग किया गया है। इस प्रकार बच्चे इन बैंचों पर बैठकर ही उष्मा के अवशोषण के सिद्धांत को समझ सकते हैं। इसके अतिरिक्त इसमें पिन होल कैमरा, पेरीस्कोप तथा ‘स्क्रू’ के सिद्धांत पर बना पानी उठाने वाला मॉडल, संगीतात्मक पाईप्स, पानी के आसवन को दर्शाने वाली सौर मॉडल तथा सौर ऊर्जा से प्रकाशित होने वाली ट्यूब लाइट भी है।
राष्ट्रीय बाल भवन की विज्ञान वाटिका सच्चे अर्थों में खेल-खेल में सीखने का साधन साबित होती है। .